Shunya Se Shikhar Tak Safalta | शून्‍य से शिखर तक सफलता

  What is and how does it ? Shunya Se Shikhar Tak Safalta कैसी होती है  ? जब व्‍यक्ति अपने जीवन से मायूस हो जाता है । उसके मन में तरह – तरह की व्‍याधियां जन्‍म लेने लगती हैं। उम्र का पड़ाव जीवन में मायने रखता है । स्थिति –परिस्थिति हरैक के जीवन में उत्‍पन्‍न होती है।

यदि हम अपने जीवन में स्थिति को सकारात्‍मक (Shikhar) मानकर चलते हैं , तो सब ठीक है ।

But यदि परिस्थिति नकारात्‍मकता (Shunya) के लिए परिभाषा बन जाये ,तब !

कौन समझेगा इन दोनों बातों के नजरिये को । कहा और सुना भी गया है,  कि मन चंगा तो कठौती में गंगा।

समय के खेल को किसी ने नहीं जाना होता है ।

अच्‍छे – अच्‍छे का पसीना निकल जाता है , जब समय अपना खेल करता है ।

भविष्‍य के नजरिये से हम कितना भी संभलकर चले , होनी और अनहोनी हमारे सभी  के लिये निश्चित होती है ।

कब कौन , कहॉं किससे मिलता है , किसी ने भी नहीं जाना होता है ।

So, इसे भी संयोग माना जाता है ।

मेरे साथ भी कुछ अजीबों गरीब घटना निश्चित हुई ।

व्‍यक्ति का इम्तिहान जब समय लेता है , तो जीवन में बहुत सी बातें सामने आती है ।

उस व्‍यक्ति का अपना अनुभव , कुशलता उसके अपने निजी क्षेत्र में काम आता  है ।

किसी ने अपना समय वहीं बिताया होता है , जहां उसका अपना व्‍यवसाय रहता है ।

उस कारोबार के स्‍थान से अलग होकर यदि कोई व्‍यक्ति अलग कार्य करता है ।

तो उस व्‍यक्ति के लिए बहुत क‍ठिन होता है । और मकसद कामयाबी पाना था।

अनुभव हीनता ही इसकी वजह बन जाती है।

इस विषय के बारे में , इसका शीर्षक तय किया गया है । वह है ,शून्‍य से शिखर त‍क सफलता  । 

                  काल के गाल में डूबती मानवता (सफलता)

हर मनुष्‍य जिसे बुद्धिमान की संज्ञा से सराहा गया है ।

उसकी अपनी इच्‍छा होती है ,कि वह उसकी जिंदगी कैसे जिये !

वह बंधन नहीं चाहता ।

स्‍वतंत्रता से जीना चाहता है, वह ।

उस नियम और कानून का लगभग सभी को ज्ञान भी रहता है ।

‘जियो और जीने दो’ का मकसद हर मजहब वैसे भी सिखाता है  ।

कहीं न कहीं हर व्‍यक्ति किसी न किसी कारणों से परेशान जरूर रहता है ।

चाहे कम हो या ज्‍यादा ,है जरूर  परेशान ।

किसी को हेल्‍थ चैंलेंज है । तो किसी को आर्थिक समस्‍या ।

राजा हो रंक , बड़े से बड़े लोगों को भी परेशानियॉं निश्चित ही आती है ।

आज के इस महामारी के दौर में कोई भी अछूता नहीं रहा ,who भय से परेशान न था ।

बहुतों का तो जीवन ही समाप्‍त हो गया ।

खत्‍म हो गये सारे सपने ।

चलता हुआ सफर एकदमथम सा गया ।

रोजगार खत्‍म (Shunya) । उम्‍मीदें(Desireness) भी समाप्‍त ।

व्‍यवसाय का मजा भी झूला झूलने जैसा हो गया ।

कभी खुशी , कभी गम ।

रेल पटरी पर आते –आते ही उतरने लगी है।

यहां भी अलग अलग वैराईटीज के लोगों पर अलग अलग तरह का बादल छाया रहा ।

मध्‍यम वर्गीय स्थिति का व्‍यक्ति सबसे ज्‍यादा पिस गया ।

सब खत्‍म सा हो गया ।

जो कुछ जमा पूंजी रही , वह आई हुई बीमारी की वजह से सब खत्‍म हो गई ।

भय शिकार और बीमारी शिकारी बन गई ।

काल शिकारी बनकर आया और इस आपदा के चलते मनुष्‍य शिकार होते चले गये ।

किसी का भी  दिमागी संतुलन , कोरोना के पैरामीटर से नापने पर असंतुलित ही पाया गया ।

पूरी दुनियॉं बीमारी कोरोना रूपी शिकारी के चंगुल में जकड़ती सी गई ।

वैज्ञानिक और विज्ञान तक अपनी बात नहीं कह पाये ।

 Shunya Se Shikhar Tak Safaltaका सफर 

कहा गया है कि ‘डूबते को तिनके का सहारा’, इस महासंकट से किसी तरह जो बच गया ,वह खुशनसीब था ।

वह समझा , उसे ईश्‍वर ने संभाला है । बचाया है ।

 बस,भगवान को , धन्‍यवाद देते हुए ,हम पुन: आगे की ओर कदम बढ़़ाये ।

एक नई शुरूवात  हुई , जिन्‍दगी की । फिर चलना शुरु किये । वही सपने थे ।

वही इरादे ।कि पाकर रहेंगे , Shunya Se Shikhar Tak Safalta .

वही जोशऔर तमन्‍ना के साथ अपने  , कर्म करना प्रारंभ किये ।

नेक इरादों के  चलते काम में सफलता मिलते गई । हम हिम्‍मत नहीं हारे ।

कहते हैं , सच का साथ तो ,भगवान भी दिया करते हैं ।

और नियत व नजर साफ हों,तो फरिश्‍ते भी आपको आगे बढ़ाने में साथ देते हैं ।

हमने  कंप्‍यूटर के बारे में अभी तक मात्र हल्‍की सी जानकारी ले रखी थी ।

एक मित्र ने कहा कि बहुत कुछ है करने को दुनियॉं में ।

और आपका जन्‍म कर्म करने के लिए हुआ है ।

यहाँ मैं आप को यह बताना चाहुंगा कि व्‍यक्ति का पिछला  कारोबार खत्‍म हो जाए ।

उस व्‍यक्ति पर क्‍या बीतती होगी ।

और मित्र की बात मानते हुए काम करना शुरु किया ।

प्रेरणा भी मिल गई ।

ये प्रेरणा भी मित्र के बताये रास्‍ते पर चलने से मिली ।

मित्र इंजीनियर है ।

डेफिनिटली उसने जिस रास्‍ते पर चलने को कहा था।

उसमें प्रेरणा के स्रोत इंजीनियर ही मिले ।

वे हैं श्री हर्ष अग्रवाल सर ,श्री पवन अग्रवाल सर ,श्री सतीष  सर , श्री योगेन्‍द्र जी ।

बस दिनभर वॉट्सअप और फेस बुक   की बजाय सभी सर से टीचिंग लेना शुरु कर दिया ।

इनकी गाइड लाइन्‍स को फॉलो करना  शुरु किया । लगा कि, शून्‍य से शिखर तक सफलता  मिलेगी ।

 Because हमने एक ब्‍लाग’ द साइंस विजन‘ क्रीएट किये  हैं  ।

 Shunya Se Shikha तक टर्निंग पाइंट 

बस, करीब दो माह में कुछ लिखकर  पोस्‍ट किया ।

गूगल एडसेंस के लिये एप्‍लाई किये ।

3 से 7 दिन में परमिशन मिल गई ।

अब सही शुरुवात किये हैं ।

एक खयाल उसके दिमाग में घर कर गया ।

मरता क्‍या नहीं करता । Success and Growth है दिखता है , उसे।

बस, आग सी लग जाती है , उसके तन मन में । 

व्‍याकुल हो उठता है , वह ।

उसके  सोचने समझने  की शक्ति काम करना बंद सी करने लगती है।

उसे अचानक एक जानकारी मिली कि उसे  गूगल एडसेंस मिल गया ।

एडसेंस मिलना ही एक नये ब्‍लागर के लिए , एक सपना होता है । 

यही सफलता की सीढ़ी का वह सफर है जिसे   ‘ Shunya Se Shikhar Tak Safalta ‘ कहा जाना उचित  है।