Bhay se mukti ke upay in Hindi

Bhay se mukti ke upay in Hindi

इस पोस्‍ट में हमनें अपने Bhay se mukti ke upay के बारें में जानकारी दी है ।  अपने अंदर के भय पर विजय कैसे पाए अपने अंदर के डर को कैसे दूर करे।
भय की परिभाषा शब्‍द भय जिसका पर्याय डर, दुख, कष्‍ट, तकलीफ, दर्द, अकारण चिंता, बैचेनी, विचलित, स्थिति, निराशा, बेबसी इत्‍यादि शब्‍दों के अर्थ में लिया जा सकता है। इस bhay se mukti kaise paye  हेतु संक्षिप्‍त में नीचे पूरा सारांश समझाया गया है । 

हर व्‍यक्ति, जीव, प्राणी के परिवेश में इसका माहौल सदैव बना रहता है।

परिस्थितिवश व्‍यक्ति अपने इस भय का बखान नहीं कर पाता है, किन्‍तु सत्‍य यही है कि अपने आगोश में कभी न कभी किन्‍ही भी कारणों से इस भय को समाये हुए महसूस होता है।

जब व्‍यक्ति अपने कर्म क्षेत्र में, कर्मवीर बनकर कर्त्तव्‍य निष्‍ठा से कार्य करता है तो निश्चित ही उसका लक्ष्‍य सफलता पाना ही होता है।

शायद ही कोई ऐसे बिरले सज्‍जन मानव, हो सकते हैं, जिन्‍हें सफलता का पर्याय सेवा या परोपकार करना ही होता है। जिसका अर्थ शायद धन अर्जन कर समृद्धिवान होना ही वास्‍तविक सफलता नहीं होता ।

ऐसा व्‍यक्ति दूसरों की मदद को भी समृद्धि की संज्ञा देते है। यह उनका अपना निजी विचार ही रहता है ।

जब मनुष्‍य अपने जीवन में कुछ गलत कर बैठता तो उसे डर अर्थात् भय उत्‍पन्‍न होता है। कैसे मिलेगी उस Bhay Se mukti । , एकदम आसान है एक तो उसे प्रायश्चित कर लेना चाहिए। दूसरे  और भी 31 अन्‍य उपायाें का पालन  किया जा सकता है । 

यदि संभव हो तो परिस्थिति के अनुसार क्षमा याचना करना चाहिए। किसी के सा‍थ अब ऐसा (कुछ गलत) नहीं करूंगा। इसके लिए स्‍वयं वचनबद्ध होना चाहिए।

जिसके साथ गलत किया गया था, उसे प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष किसी भी रूप में मदद करते रहना चाहिए। आत्‍म अनुभूति से विचार कर मंथन करना चाहिए कि अब मैं किसी को भी धोखा नहीं दुंगा।

अनजाने में भी किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाऊंगा।

ऐसे शरीर को भी प्राप्‍त कर यदि मैं किसी के काम न आ पाया तो जीवन व्‍यर्थ है समझुंगा।

इन विचारों से आपको आत्‍मसुख महसूस होने लगेगा और bhay se mukti  स्‍वयं मिल जाएगी ।

भय का दृष्‍टांत-

एक बार राजा दशरथ जंगल में शिकार करने निकले।

 शिकार के समय अंधेरा हो चुका था । पेड़ और झाड़ी, पत्तों के कारण, उसके पीछे का दृश्‍य उन्‍हें वैसे भी रात की वजह से दिखाई नहीं दे रहा था ।

वहां एक सेवक श्रवण कुमार अपने माता-पिता के लिए पानी लेने आया था व पानी लेने जहां वह गया था, वहां जलाशय था।

पानी को बर्तन या मटके में रखने और पानी में उतरने के कारण कुछ आवाज आई।

दूसरी ओर शिकार खेलने आये, दशरथ को आभास हुआ, मानों वहां कोई जानवर है।

 इसी पक्‍के विश्‍वास के साथ उस आवाज पर निशाना साधते , दशरथ ने तीर चला दिया ।

वह श्रवण कुमार को छाती में लग गया और वह चिल्‍लाया, रोता, बिलखता, गुस्‍सा करता, अपने प्राणों की बलि दे  दिया ।

उसकी चीत्‍कार सुन राजा भयभीत हो उठे, और उस दिन से उन्‍हें, श्रवण कुमार के माता-पिता का श्राप भय से बांधे रखने लगा ।

ऐसे अनेकों उदाहरण परिस्थितिवश निर्मित हुए एवं शिक्षा का अध्‍याय बन गये ।

गुरू पूर्णिमा का महत्‍व

नव उर्जा– अब, जब व्‍यक्ति भय, डर, चिंता, विचलन, तनाव से दूर हो गया ।

तब उस मनुष्‍य के मन में नई उर्जा उत्‍पन्‍न होने लगती है । मानों उसको नया जीवन मिल गया हो ।

काम करने के प्रति लगन ,उत्‍साह भरी अदाएं सहज ही देखी जाने लगती है।

वह बहुत ही सरल और सहज स्‍वभाव का महसूस होते  देखा जाने लगता है । उस व्‍यक्ति के आवरण में नई उर्जा का संचार होते रहता है ।

उसका स्‍वभाव उसके परिवेश में एकत्रित सकारात्‍मकता को धारण किये रहती है ।

अब उसके स्‍वभाव,व्‍यवहार को देखकर लोग उससे मिलना चाहते हैं ।

उससे बात करना चाहते हैं ।

उसको दोस्‍त बनाना एवं दोस्‍त बनना चाहते हैं ।

उसके प्रति लोगों का नजरिया Change होने लगता है ।

उसके इर्द-गिर्द वह सभी जो उसकी आलोचनाएं किया करते थे ।

अब प्रशंसा करते पाए जाते हैं ।

तारीफों का पूल बांधते दिखते हैं । ऐसा परिवर्तन सिर्फ उस व्‍यक्ति के अंदर से भय खत्‍म होने की वजह से हो पाया है ।

जो नई  उर्जा एवं उसके आत्‍मविश्‍वास की देन होता है ।

स्‍वभाव में बदलाव

व्‍यक्ति के अंदर जब आत्‍मविश्‍वास जाग जाता है तो उसके स्‍वभाव में Confidence नजर आता है उसका नजरिया हमेशा बुलन्दियों की ऊंचाईयों को छूने का मालूम पड़ता है ।

क्रियाओं में सुधार, वार्तालाप में परिवर्तन, सकारात्‍मकता का खजाना उसके व्‍यक्तित्‍व की शान में नजर आने लगता है ।

मानों समुद्री खजाने की चाबी है, उसके पास । जिससे लोग भी उसकी कद्र करने लगते हैं ।

समाज में ऐसा सुना जाता है, लोग कहते हुए पाये जाते है, कि क्‍या Personality है, उसकी। क्‍या अंदाज है, इनका ।

ये उसकी सोच में बदलाव, उसकी नवनिर्मित ऊर्जा से संभव हो पाता है ।

व्‍यक्ति को पता ही नहीं चल पाता है, वह दिन-प्रतिदिन लोगों का, समाज का, बल्कि पूरे देश का, पूरे राष्‍ट्र का चहेता बन जाता है ।

इसके बहुत से उदाहरण लगभग सभी क्षेत्रों में देखे जा सकते है ।

चाहे राज‍नीति हो या धर्म का क्षेत्र या फिर खेल जगत में या फिर अभिनेता या अभिनेत्री का या फिर गायक- गायिका या फिर नृत्‍य का ही क्षेत्र क्‍यों ना हो ।

ये बदलाव जो आपकी अपनी सोच का नतीजा होता है ।

आपको साधारण से असाधारण बना देता है ।

फिर आप भी सहजता से साधारण व्‍यक्तित्‍व धारण किये इसी सभ्‍य समाज में रहते है ।

सम्‍मानित महसूस करते है ।

आप लोगों की जरूरत होते हो, समाज में आपकी पूछ होती है । आप जाने जाते हो ।

यहां तक कि लोगों के IDEAL या  ICON तक बन जाते हो ।

शायद आपको लोग गुरू या मास्‍टर या फिर उस्‍ताद मानने लगते है ।

और आपको इसका अंदाजा भी शायद नहीं या फिर बहुत कम हो पाता है ।

आप वास्‍तव में एक प्रकाश की भांति समाज में सेवक की भूमिका निभाते हो ।

मधुर व्‍यवहार –

आप जिस किसी से भी मिलते है उसकी पारदर्शिता में आप अपनी पहचान छोड़ जाते है यह साफ-सुथरे व्‍यक्तित्‍व का मधुर व्‍यवहार ही होता है ।

जिसके चलते आपके साथ लोग खड़े हो जाते है ।

आपके साथ जुड़ते हुए एक काफिले का रूप ले लेते है ।

आपको वे लोग सुनना चाहते है ।

आप यदि किसी के भी काम आ पाते हो, तो आप स्‍वयं प्रसन्‍नता महसूस करते हो ।

आपके अंदर उस समय जो आनंद बहता है, वह शायद MERCEDES गाड़ी जिसके पास होती है उसको भी उतना आनंद नहीं मिल  पाता होगा ।

आपकी अदायें, कार्य एवं Way of talking and type of thinking की शैली, तरीका यदि सही ढंग धारण किये होता है तो आपकी छवि समाज में निराली बन जाती है ।

आपकी प्रतिभा जिसको देख कर आपके अनुयायी तैयार होते चले जाते है ।

आपको मानने वाले और आपको चाहने वालों का एक सभ्‍य एवं सुंदर समाज का निर्माण भी होता चला जाता है ।

आप उन्‍हें way of life and how to live के बारें में बताकर, उनका मार्ग प्रशस्‍त भी करने लगते हो ।

कम बोलना, धीमे बोलना, मुस्‍कुराहट लिये अपनी नजर और नियत साफ रखना, का भी अंदाज लोग आपसे सीखने लगते हैं ।

ये सब आपकी सफलता की नींव होती है ।

ईमानदारी, आदर्शता इसके चिंतन के विषय मात्र होते हैं । जिससे आपका आचरण और चरित्र आपके काम करने का अंदाज स्‍वयं बता  देते है ।