Chemistry Reactions in hindi :- रसायन विज्ञान में कार्बनिक रसायन हमेशा बहुत Important होती है । प्रतियोगियों, छात्र-छात्राओं के भविष्य को देखते हुए रसायनिक अभिक्रिया, रसायनिक समीकरण के साथ यदि स्टूडेंट्स के लिए पूर्ण गम्भीरता से तैयार की गयी है। सभी प्रकार के State level एवं National level के Entrance Examination के लिए सदैव महत्वपूर्ण रहेगी । जैसे Medical Science , Engineering एवं अन्य सभी प्रकार के Competitions Exam के Syllabus में Organic Chemistry से सम्बंधित प्रश्न प्राय: पूछे जाते है ।
रीमर-टीमन अभिक्रिया (Reimer–Tiemann reaction)
जब फिनॉल को क्लोरोफॉम तथा ऐल्कोहॉलीय KOH के साथ गर्म करते है, तब आर्थो सेलिसिलैल्डिहाइड बनता है । इसे रीमर-टीमन अभिक्रिया कहते है ।
रोजेनमुण्ड अभिक्रिया (Rosenmund reaction)
जब किसी एसिड क्लोराइड के जाइलीन विलयन में पैलेडियम युक्त बेरियम सल्फेट की उपस्थिति में हाइड्रोजन गैस प्रवाहित की जाती है तब एसिडक्लोराइड के अपचयन क्रिया के फलस्वरूप एल्डिहाइड बनता है।
इस क्रिया में बेरियम सल्फेट पैलेडियम की उत्प्रेरण क्रिया के लिए विष का कार्य करता है और अभिक्रिया में बने हुए ऐल्डिहाइड का आगे ऐल्कोहॉल में अपचयन होने से रोकता है
इस अभिक्रिया को रोजेनमुण्ड अभिक्रिया कहते हैं और इसके द्वारा केवल ऐल्डिहाइड ही प्राप्त किये जा सकते हैं ।
और जब ऐसिडक्लोराइड को डाइएल्किल कैडमियम के साथ अभिकृत किया जाता है, तब कीटोन बनते है ।
डाइएल्किल कैडमियम ग्रिगनार्ड अभिकर्मक और कैडमियम क्लोराइड की क्रिया से प्राप्त होता है ।
कैनिजारो अभिक्रिया (Cannizzaro reaction)
फार्मेल्डिहाइड व अन्य α-हाइड्रोजन विहीन ऐल्डिहाइडों में सान्द्र कॉस्टिक सोडा की क्रिया से कैनिजारो अभिक्रिया होती हैं ।
इसमें एल्डिहाइड का एक अणु से दूसरे अणु से अम्ल में ऑक्सीकृत हो जाता है, जो स्वयं ऐल्कोहॉल में अपचयित हो जाता है ।
इस अभिक्रिया में अम्ल का सोडियम लवण और एल्कोहॉल बनते है ।
फॉर्मेल्डिहाइड के अतिरिक्त अन्य ऐल्डिहाइड जिनमें α– हाइड्रोजन होता है, विशिष्ट गंध वाला भूरे रंग का रेजिन पदार्थ बनाते है और कीटोन के साथ कोई क्रिया नहीं होती है ।
NaOH के स्थान पर एल्युमीनियम एथॉक्साइड की उपस्थिति में अन्य एल्डिहाइड में भी कैनिजारो अभिक्रिया के समान अभिक्रिया की जा सकती है यह अभिक्रिया टिशैन्को अभिक्रिया कहलाती है ।
फ्रीडल क्राफ्ट अभिक्रिया (Friedel–Crafts reaction)
ऐरौमैटिक हाइड्रोकार्बन की उपयुक्त एसिड क्लोराइड के साथ निर्जल AlCl3 की उपस्थिति में क्रिया कराने पर कीटोन प्राप्त होता है ।
वुर्टज फिटिग अभिक्रिया (Wurtz reaction)
ऐरिल हैलाइड के ईथरीय विलयन को सोडियम व ऐल्किल हैलाइड के साथ गरम करने पर हैलोजन परमाणु ऐल्किल समूह द्वारा विस्थापित हो जाता है ।
फिटिग अभिक्रिया और यदि ऐल्किल हैलाइड के स्थान पर ऐरिल हैलाइड लेने पर हाइफेनिल बनता है।
विशेष : जब क्रिया ऐरिल और ऐल्किल हैलाइडो के बीच होती है, तो इसे वुर्ट्ज अभिक्रिया कहते है ।
जब दोनो अणु ऐरिल हैलाइड के होते है, तो इसे फिटिग अभिक्रिया कहते है ।
सेण्डमेयर अभिक्रिया (Sandmeyer reaction)
जब बेंजीन डाइऐजोनियम लवण को हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में विलेय क्युप्रस क्लोराइड विलयन या HBr में विलय क्यूप्रस ब्रोमाइड विलयन के साथ अभिकृत किया जाता है तब क्रमश: क्लोरोबेंजीन या ब्रोमोबेंजीन बनता है इस अभिक्रिया को सेण्डमेयर अभिक्रिया कहते है ।
उपर्युक्त अभिक्रिया में यह बात ध्यान में रखने योग्य है कि नाभिक के साथ वह हैलोजन परमाणु जुड़ता है जो कॉपर से जुड़ा रहता है।
गाटरमान अभिक्रिया (Gattermann reaction)
इस विधि में क्यूप्रस हैलाइड उत्प्रेरक के स्थान पर कॉपर चूर्ण को उत्प्रेरक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है ।
जब बेंजीन डाइऐजोनियम लवण को हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में विलय क्यूप्रस क्लोराइड विलयन या HBr में विलेय क्यूप्रस ब्रोमाइड विलयन के साथ अभिकृत किया जाता है तब क्रमश: क्लोरोबेंजीन या ब्रोमोबेंजीन बनता है ।
इस अभिक्रिया को गाटरमान अभिक्रिया कहते है ।
रैशिग अभिक्रिया
इस विधि के द्वारा क्लोरो बेन्जीन व्यापारिक स्तर पर प्राप्त की जाती है । जब बेन्जीन वाष्प वायु एवं हाइड्रोजन क्लोराइड के मिश्रण को कॉपर क्लोराइड मिश्रण पर प्रवाहित किया जाता है । तब क्लोरो बेन्जीन बनती है ।
कोल्बे शिमिट अभिक्रिया (Kolbe-Schmitt Reaction)
जब सोडियम फीनॉक्साइड को CO2 के साथ बन्द नली में उच्चदाब और 400 K ताप पर गर्म किया जाता है, तब सोडियम सैलिसिलेट बनता है, इसे कोल्बे शिमिट अभिक्रिया कहते है ।
सोडियम सैलिसिलेट को अम्लीकृत कर सैलिसिलिक अम्ल बनता है ।
कोल्बे अभिक्रिया (Kolbe reaction)
जब CO2 प्रवाहित करते हुए सोडियम फिनॉक्साइड को गर्म किया जाता है, तब कार्बोक्सीकरण प्रक्रिया होती है । p-हाइड्रॉक्सी बेंजोइक अम्ल की सूक्ष्म मात्रा के साथ सूक्ष्म मात्रा के साथ मुख्य क्रियाफल के रूप में o- हाइड्रॉक्सी बेंजोइक अम्ल (सैलिसिलिक अम्ल) का निर्माण होता है ।
उच्च ताप पर p- व्युत्पन्न बनता है ।
उलमान अभिक्रिया (Ullmann Reaction )
जब आयोडोबेन्जीन को कॉपर चूर्ण के साथ 200 डिग्री सेंटीग्रेट पर एक बंद नली में गरम किया जाता है तो डाइफेनिल बनता है । यह अभिक्रिया उलमान अभिक्रिया कहलाती है ।
हुन्सडीकर अभिक्रिया (Hunsdiecker Reaction)
यह शुद्ध ऐल्किल हैलाइड बनाने की उत्तम विधि है । क्योंकि अभिक्रिया में बनने वाले उपोत्पाद गैसीय या अविलेय होने के कारण सरलता से दूर कर दिये जाते है ।
इस विधि में कार्बोक्सिलिक अम्ल के शुष्क सिल्वर लवण के कार्बन टेट्राक्लोराइड में बने विलयन की क्लोरीन या ब्रोमीन के साथ क्रिया करायी जाती है ।
कार्बिल ऐमीन अभिक्रिया या आइसोसायनाइड परीक्षण (carbylamine reaction)
जब क्लोरोफार्म को किसी प्राथमिक ऐमीन जैसे (ऐनिलीन) तथा ऐल्कोहॉलीय पोटाश के साथ गरम करते है तब एक अत्यंत दुर्गन्ध युक्त पदार्थ आइसोसाइआनाइड बनता है । इस पदार्थ को कार्बिल ऐमीन भी कहते है ।
इस अभिक्रिया की सहायता से क्लोराफार्म और प्राथमिक ऐमीन दोनों का ही परीक्षण किया जा सकता है, इस अभिक्रिया को आइसोसाइआनाइड परीक्षण भी कहते है ।
शॉटन-वॉमन अभिक्रिया (Schotten–Baumann reaction )
ऐरोमैटिक एमीन की बैन्जेयलीकरण क्रिया को शॉटन-वॉमन अभिक्रिया कहते है ।
जब ऐनीलीन को बेंजायल क्लोराइड के साथ गर्म किया जाता है, तब N-फेनिल बेन्जामाइड बनता है । इसे शॉटन-वॉमन अभिक्रिया कहते हैं ।
फ्रैंकलैण्ड अभिक्रिया
जब हैलोएल्केन को जिंक चूर्ण के साथ ऐल्कोहॉल में अभिकृत किया जाता है , तब ऐल्केन बनता है ।
इसे फ्रैंकलैण्ड अभिक्रिया कहते हैं ।