Computer Language in Hindi 2022 | कंप्यूटर लैंग्वेज कितने प्रकार की होती हैं

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Computer Language in Hindi-

हैलो दोस्‍तों, आज हम आपसे Computer Language कंप्यूटर भाषा क्या है ? के बारें में जानकारी देने जा रहे हैं । जिस प्रकार हम मनुष्‍य एक दूसरे से कम्‍यूनिकेट करने के लिये किसी ना किसी भाषा का इस्‍तेमाल करते है । जिससे हम यह समझ पाते है कि हमसे सामने वाला क्‍या कह रहा है । ठीक उसी प्रकार कम्‍प्‍यूटर के समझने योग्‍य प्रोग्रामिंग भाषा  (Programming language) का निर्माण विद्वानों द्वारा किया गया । जिसे Computer Language कहते है । इसका निर्माण कम्‍प्‍यूटर एप्‍लीकेशन डिजाइन करने के लिये किया गया । हमारी भाषा की तरह इसमें भी वर्ण, शब्‍द, वाक्‍य आदि होते है ।

Programming Language के प्रकार

प्रोगामिंग भाषा कई तरह की होती है । कुछ भाषाओं को हम समझ पाते हैं, और कुछ भाषाओं को केवल कम्‍प्यूटर समझ पाता है । जो भाषा हम समझ पाते है और उसी भाषा में कम्‍प्‍यूटर को निर्देश देते है । उसे हाई लेवल लेंग्‍वेज (उच्‍च स्‍तरीय भाषा)  कहते है । जिस भाषा को केवल कम्‍प्‍यूटर समझ पाता है, उसे लो लेवल लेंग्‍वेज (निम्‍न स्‍तरीय भाषा)  कहते है ।

Types of computer language

         

Computer Language कितने प्रकार की  होती है ?

  1. लो लेवल लेंग्‍वेज (Low level language)
  2. हाई लेवल लेंग्‍वेज (High level languge)

1. निम्‍न स्‍तरीय भाषा (Low level language) 

कम्‍प्‍यूटर की वह भाषा, जिसका प्रत्‍येक कथन सीधे मशीन कोड में परिवर्तित हो, लो लेवल लेंग्‍वेज (LLL)

कहलाती है । यह भाषा मशीन द्वारा उत्‍पन्‍न की जाती है तथा इसमें सारे निर्देश मशीन की प्रकृति के अनुरूप निर्मित होते हैं । इसे दो भागों में विभाजित किया गया है ।

  • मशीनी भाषा (Machine Language)
  • असेम्‍बली भाषा (Assembly Language)

मशीनी भाषा (Machine Language)

जो भाषा कम्‍प्‍यूटर बिना किसी अनुवादक की सहायता से समझ लेता है, मशीनी भाषा कहलाती है ।  कम्‍प्‍यूटर केवल बायनरी डिजीट को समझता है जो 0 व 1 के संकेतो के रूप में होती है । कम्‍प्‍यूटर किसी भी कार्य को करने के लिये बायनरी डिजीट का प्रयोग करता है । जो प्रोग्राम 0 व 1 के संकेतो के रूप लिखे होते है उसे मशीन लैंग्वेज प्रोग्राम कहते है ।

लाभ

  1. भाषा में लिखे गये प्रोग्राम कम्‍प्‍यूटर द्वारा सीधे समझ लिये जाते है अर्थात् जल्‍दी एक्‍जिक्‍यूट कर लिये जाते है ।
  2. इसका परिणाम अतिशीघ्र आता है । क्‍योंकि मशीनी भाषा के निर्देशों को किसी भी अनुवादक की जरूरत नहीं होती है ।

हानि 

  1. मशीनी भाषा में लिखे गये प्रोग्राम किसी भी व्‍यक्ति के लिये समझना काफी कठिन है ।
  2. मशीनी भाषा में लिखे गये प्रोग्राम काफी लम्‍बे होते हैं ।
  3. प्रोग्राम लिखने में होने वाली त्रुटियों की संभावना भी अत्‍यधिक होती है ।

असेम्‍बली भाषा (Assembly Language)

असेम्‍बली भाषा में 0 व 1 के स्‍थान पर अल्‍फान्‍यूमेरिक चिन्‍ह का प्रयोग होता है ।

जैसे – A-Z, 0-9 तथा आसानी से याद रखे जाने वाले शब्‍द ADD, MULT,DIV, LOAD आदि का प्रयोग होता है । असेम्‍बली भाषा में कम्‍प्‍यूटर पर लिखे गये प्रोग्राम किसी दूसरे कम्‍प्‍यूटर पर क्रियान्वित नहीं होते हैं । इस भाषा में प्रोग्राम को लिखने के लिये कम्‍प्‍यूटर हार्डवेयर की जानकारी होना आवश्‍यक है ।  

लाभ

  1. असेम्‍बली भाषा को समझना एवं याद करना आसान होता है ।
  2. इसमें त्रुटियाँ ढूँढ़ना एवं उसे सुधारना आसान होता है ।
  3. प्रोग्राम को मोडिफाई करना आसान होता है ।

हानि

  1. असेम्‍बली भाषा के प्रोग्राम मशीन डिपेंडेंट होते है ।
  2. इस भाषा का प्रयोग करने के लिये हार्डवेयर की जानकारी होना आवश्‍यक है ।
  3. प्रोग्रामिंग कठिन तथा बहुत ज्‍यादा समय लेने वाली होती है ।
  4. असेम्‍बली भाषा के निर्देश भी मशीनी कोड में लिखे हुए होते है ।

असेम्‍बलर (Assembler)

कम्‍प्‍यूटर मशीनी भाषा के अलावा किसी भी दूसरी भाषा में लिखे गये प्रोग्राम को नहीं समझता है । अत: दूसरी भाषा में लिखे गये प्रोग्राम को मशीनी भाषा में अनुवाद करना जरूरी होता है । जो प्रोग्राम असेम्‍बली भाषा को मशीनी भाषा में परि‍वर्तित करते है असेम्‍बलर कहलाते है ।

ऑपरेटिंग सिस्‍टम के कार्य

कम्‍प्‍यूटर मेमोरी के प्रकार

इनपुट डिवाइस

2. हाई लेवल लेंग्‍वेज  (High level languge)

असेम्बली भाषा में आने वाली कठिनाईयों को हाई लेवल लेंग्वेज(Low level language) ने दूर किया । यह प्रोग्रामर द्वारा आसानी से समझी जा सकती   है । प्रोग्रामर इस भाषा में आसानी से प्रोग्राम बना सकता है । उच्‍चस्‍तरीय भाषा में लिखे गये निर्देशों को स्‍टेटमेंट्स कहते है । यह अंग्रेजी तथा गणितीय भाषा का सम्मिलित रूप होते है । इस भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिये कम्‍प्‍यूटर की आंतरिक संरचना की जानकारी होना आवश्‍यक नहीं है । किसी भी एक कम्‍प्‍यूटर पर लिखे गये प्रोग्राम दूसरे कम्‍प्‍यूटर पर आसानी से क्रियान्वित किये जा सकते है । अर्थात् इस भाषा में लिखे गये प्रोग्राम प्राय: सभी कम्‍प्‍यूटर पर संचालित हो सकते है ।

हाई लेवल लेग्‍वेज के उदाहरण है 

बेसिक, कोबोल, फोरट्रॉन, पास्‍कल, एल्‍गोल, प्रोलोग, इत्‍यादि ।

लाभ

  1. उच्‍च स्‍तरीय भाषाएं मशीन इंडिपेंडेंट होती है ।
  2. इस भाषा का प्रयोग करना आसान होता है । यह आसानी से सीखी जा सकती है ।
  3. हाई लेवल लेंग्‍वेज में लिखे गये प्रोग्राम छोटे होते है, अत: गलतियों की संभावना अपेक्षाकृत कम होती है ।
  4. इस भाषा में प्रोग्राम लिखने में कम समय और कम मेहनत लगती है ।
  5. हाई लेवल लेंग्‍वेज में लिखे गये प्रोग्रामों को मेनटैन करना आसान होता है ।

 

हानि

  1. उच्‍चस्‍तरीय भाषा में प्रोग्राम को लिखने से पहले उसके विशेष रूल्‍स की जानकारी होना आवश्‍यक हैं, उन्‍हें सीखना पड़ता है ।
  2. इस भाषा में लिखे गये प्रोग्राम की गति भी मशीनी भाषा और असेम्‍बली भाषा की तुलना में कम होती है ।
  3. उच्‍चस्‍तरीय लेंग्‍वेज में लिखे गये प्रोग्राम कम्‍प्‍यूटर मेमोरी में अधिक स्‍थान लेते हैं ।
  4. इसमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों के ही सपोर्ट की अधिक आवश्‍यकता होती है ।
  5. कम्‍पाइलर की आवश्‍यकता भी होती है , जो महँगा होता है ।

कम्‍पाइलर (Compiler) किसे कहते हैं ?

जब हाईलेवल में कोई प्रोग्राम लिखा जाता है तो उसे मशीनी भाषा में कन्‍वर्ट करने के लिये एक अनुवादक की जरूरत पड़ती है । यह अनुवाद कम्‍पाइलर और इंटरप्रेटर की मदद से किया जाता है । कम्‍पाइलर पहले एक साथ पूरा अनुवाद कर लेता है फिर उसे क्रियान्‍वित करता है । जबकि इन्‍टरप्रेटर एक-एक कर पंक्ति का अनुवाद करता है । पंक्ति में हुयी गलतियों को भी बतलाता है ।

वास्‍तव में कम्‍पाइलर और इन्‍टरप्रेटर दोनों ही साफ्टवेयर है जो हाई लेवल लेंग्‍वेज को मशीन लेवल लेंग्‍वेज में ऑटोमेटिक कन्‍वर्ट कर देता है । चूंकि हाई लेवल लेंग्‍वेज को सोर्स कोड तथा मशीनी लेंग्‍वेज के प्रोग्राम को ऑब्‍जेक्‍ट कोड कहा जाता है । इसलिए हम यह भी कह सकते हैं कि कम्‍पाइलर या इंटरप्रेटर वे युक्तियाँ हैं जो सोर्स कोड को ऑब्जेक्‍ट कोड में बदल देती है ।

Basic Computer Questions

आज हमने आपसे कम्‍प्‍यूटर भाषा (computert language) क्‍या है ? कितने प्रकार की  होती है ? तथा हाई लेवल लेंग्‍वेज  (HLL) क्‍या है ? कितने प्रकार की होती है ।

लो लेवल लेंग्‍वेज (LLL) क्‍या है ? कितने प्रकार की होती है ? असेम्‍बली लेंग्‍वेज (Assembly Language) इन सभी टॉपिक  को क्‍लियर करने की कोशिश की है । 

Computer programming Language क्या है?


प्रोग्रामिंग लैंग्‍वेज कम्‍प्‍यूटर और प्रोग्रामर के बीच communicate करने का एक माध्‍यम है । कम्‍प्‍यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्‍वेज की मदद से की मदद से प्रोग्रामर कम्‍प्‍यूटर को यह बताता है कि उसे क्‍या, कब और किस परिस्थिति में क्‍या करना है अथवा क्‍या नहीं करना हैं ।


What is computer language?


कम्‍प्‍यूटर सिर्फ मशीन लेवल लैंग्‍वेज को ही समझता है । अलग-अलग प्रोग्रामिंग लैंग्‍वेज में लिखे गये प्रोग्राम में निर्देशों को Compiler, Interpreter अथवा Assembler की सहायता से  मशीन लेवल लैंग्‍वेज में परिवर्तित कर उसे माइक्रो प्रोसेसर को भेज दिया जाता है । कम्‍प्‍यूटर इन निर्देशों का पालन करके result देता है ।


कम्‍प्‍यूटर की भाषा को कितने भागों में बाँटा गया है ?


कम्‍प्‍यूटर की भाषा को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है । 1.मशीनी भाषा (Machine Language) 2. असेम्‍बली भाषा (Assembly Language) 3. उच्‍च स्‍तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (High Level Language) ।

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धन्‍यवाद ।