Contents
- 1 Introduction –
- 2 एनालॉग क्रियाएँ (Analog Operation) –
- 3 बाइनरी या द्वि-आधारी संख्या प्रणाली (Binary Number System) –
- 4 दशमलव या दाशमिक संख्या प्रणाली(Decimal Number System)-
- 5 ऑक्टल या अष्ट –आधारी संख्या प्रणाली(Octal Number System)-
- 6 हेक्सा-डेसीमल या षट्दशमिक संख्या प्रणाली (Hexa-decimal Number System) –
Introduction –
Data Representation क्रमश: दो शब्दों से मिलकर बना है पहला Data जिसे हम आसान शब्दों में कहें तो डिजिटल Information या जानकारी कहते हैं । तथा Representation का अर्थ निरूपण, दर्शाना या वर्णन करना होता है ।
कम्प्यूटर में हम विभिन्न प्रकार के डाटा जैसे कि audio, video, text, graphics numeric आदि को स्टोर करते है । चूंकि कम्प्यूटर एक मशीन है जो human language नहीं समझता है । वह यूज़र द्वारा दिये गये अलग-अलग निर्देशों तथा डाटा को एक ही भाषा में संग्रहित करता है । जो कि 0 व 1 होती है जिसे हम बाइनरी लैंग्वेज कहते है ।
Definition of Data Representation –
कम्प्यूटर या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में यूज़र द्वारा दिये गये सभी प्रकार के डाटा व निर्देश 0 व 1 इन दो अंको में परिवर्तित हो जाते हैं । इस प्रक्रिया को ही Data Representation कहते हैं । अर्थात् यूज़र द्वारा Input किया गया Data कम्प्यूटर जिस रूप में (0,1) ग्रहण करता है उसे Data Representation कहते हैं ।
Data Representation करने की दो क्रियायें है ।
- एनालॉग क्रियाएँ (Analog Operation)
- डिजिटल क्रियाएँ (Digital Operation)
एनालॉग क्रियाएँ (Analog Operation) –
वे क्रियाएँ जिनमें अंको का प्रयोग नहीं किया जाता है, एनालॉग क्रियाएँ कहलाती है । एनालॉग क्रियाएं भौतिक मात्राओं जैसे- दाब, ताप, आयतन, लम्बाई आदि को उनके पूर्व परिभाषित मानों के एक वर्णक्रम के साथ परिवर्तनीय बिन्दुओं में व्यक्त किया जाता है । एनालॉग क्रियाओं का प्रयोग मुख्यत: इन्जीनियरिंग तथा विज्ञान के क्षेत्रों में किया जाता है ।
Example – स्पीडामीटर, थर्मामीटर, वोल्टमीटर, इत्यादि एनालॉग क्रियाओं के उदाहरण है ।
डिजिटल क्रियाएँ (Digital Operation) –
आधुनिक कम्प्यूटर डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक परिपथ से निर्मित होते हैं । इस परिपथ का मुख्य भाग ट्रांजिस्टर होता है । जो दो अवस्थाओं क्रमश: 0,1 के रूप में कार्य करता है ।
कम्प्यूटर में डाटा को इन दो अवस्थाओं 0 व 1 के रूप में व्यक्त करते है तथा इन दो अंको या अवस्थाओं के सम्मलित रूप को बाइनरी संख्या-प्रणाली कहते है जिसे इंग्लिश में Binary Number System कहते हैं । Binary Number System को संक्षिप्त में bit कहा जाता है ।
कम्प्यूटर में डाटा की सबसे छोटी इकाई bit कहलाती है जो कि दो अंको के समूह 0 व 1 से मिलकर बनी होती है ।
4 बिट्स – 1 निबल
1024 बाइट्स – 1 किलोबाइट (KB)
1024 किलोबाइट्स – 1 मेगाबाइट (MB)
1024 मेगाबाइट्स – 1 गीगा बाइट्स (GB)
1024 गीगाबाइट्स – 1 टेराबाइट (TB)
बाइनरी या द्वि-आधारी संख्या प्रणाली (Binary Number System) –
Binary Number System जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कि इसमें binary (जिसका अर्थ दो होता है) अंको 0 व 1 का प्रयोग होता है । इस प्रणाली में केवल दो अंक 0 (शून्य) व 1 (एक) का प्रयोग होता है जिस कारण इसे द्वि-आधारी प्रणाली भी कहते हैं । यह एक स्विच की तरह कार्य करती है जिसमें केवल दो स्थिति होती है एक ऑन की और दूसरी ऑफ की, इसके अतिरिक्त तीसरी स्थिति संभव नहीं है । इस आधार पर ही कम्प्यूटर संख्या प्रणाली में 0 (शून्य) का अर्थ ऑफ से तथा 1 (एक) का अर्थ ऑन से लगाया जाता है । बाइनरी का अर्थ दो होने के कारण उसके स्थानीय मान दाईं से बाई ओर क्रमश: दोगुने होते जाते हैं । अर्थात् 2, 4, 8, 16, 32, 64 आदि ।
दशमलव या दाशमिक संख्या प्रणाली(Decimal Number System)-
दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली संख्या प्रद्धति को दशमिक या दशमलव संख्या प्रणाली कहा जाता है । Decimal Number System में 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 व 9 दस संकेत मान होते हैं । जिस कारण इस संख्या प्रणाली का आधार 10 होता है ।
Decimal Number System का स्थानीय मान संख्या के दायीं से बायीं दिशा में आधार 10 की घात के क्रम में बढ़ते हुये होता है । दशमलव प्रणाली के स्थानीय मान क्रमश: निम्न प्रकार है ।
संकेत मान
Symbolic Value
|
स्थानीय मान
Positional Value |
10 की घात |
1 | इकाई (1) | 100 |
2 | दहाई (10) | 101 |
3 | सैंकड़ा (100) | 102 |
4 | हजार (1000) | 103 |
5 | दस हजार (10000) | 104 |
6 | लाख (100000) | 105 |
7 | दस लाख (1000000) | 106 |
इस उदाहरण से स्पष्ट है कि दशमलव संख्या प्रणाली में स्थानीय मान दायीं ओर से बायीं ओर 10 के घात के रूप में बढ़ते जाते हैं ।
इसी प्रकार दशमलव बिन्दु के दाई ओर स्थानीय में 10 की घातों के रूप में ही घटते जाते हैं । जैसे – 1/10, 1/100, 1/1000, 1/10000 आदि । किसी भी संख्या के वास्तविक मान का पता करने के लिये उसके प्रत्येक अंक के मुख्य मान को उसके स्थानीय मान से गुणा करते हैं और उन्हें जोड़ लेते हैं ।
ऑक्टल या अष्ट –आधारी संख्या प्रणाली(Octal Number System)-
Octal Number System प्रणाली में 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 इन आठ अंको का उपयोग किया जाता है । आठ अंको का प्रयोग होने के कारण ही इसका आधार आठ होता है । इन अंको के मुख्य मान दशमलव संख्या प्रणाली की तरह ही होते है । ऑक्टल संख्या प्रणाली में किसी भी बाइनरी संख्या को छोटे रूप में लिख सकते है । इसलिये ऑक्टल संख्या प्रणाली का उपयोग सुविधाजनक होता है ।
Example –
ऑक्टल (Octal) | बाइनरी (binary) |
0 | 000 |
1 | 001 |
2 | 010 |
3 | 011 |
4 | 100 |
5 | 101 |
6 | 110 |
7 | 111 |
ऑक्टल संख्या प्रणाली का उपयोग मुख्यत: माइक्रो कम्प्यूटर में किया जाता है ।आधार आठ होने के कारण ऑक्टल संख्या प्रणाली में अंको के स्थानीय मान दायीं ओर से बायीं ओर क्रमश: आठ गुने होते जाते हैं, अर्थात् 1, 8, 64, 512 आदि ।
ऑक्टल संख्या का उदाहरण – (144)8
Note – कोई संख्या बाइनरी में है अथवा डेसिमल में या ऑक्टल में लिखी गयी है इसे प्रदर्शित करने के लिये संख्या को कोष्ठक में लिखकर उसके दाई ओर नीचे उस संख्या का आधार लिख दिया जाता है । जिसे हम पहचान लेते हैं कि वह संख्या किस System के अंतर्गत लिखी गयी है ।
जैसे
बाइनरी संख्या प्रणाली (101)2
दशमलव संख्या प्रणाली (100)10
ऑक्टल संख्या प्रणाली (144)8 आदि ।
हेक्सा-डेसीमल या षट्दशमिक संख्या प्रणाली (Hexa-decimal Number System) –
हेक्सा-डेसीमल या षट्दशमिक संख्या प्रणाली जैसे कि नाम से ही स्पष्ट है कि हेक्सा-डेसीमल दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है । हेक्सा + डेसीमल हेक्सा का तात्पर्य छ: तथा डेसीमल से तात्पर्य दस से होता है । अत: इस संख्या प्रणाली में कुल 16 अंको होते हैं । जो निम्न प्रकार से है 0,1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, A, B, C, D, E, F. हेक्सा-डेसीमल संख्या प्रणाली में अंको के स्थानीय मान दायीं ओर से बायीं ओर 16 के गुणको में बढ़ते जाते हैं ।
हेक्सा-डेसीमल का उदाहरण – (F6A4)16
Compter Language कितने प्रकार की होती हैं ?
Computer Memory क्या है प्रकार ?
Operation System किसे कहते हैं ।