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कुछ लोग सफल ही नहीं हो पाते, आखिर क्यों ?
प्रस्तावना :- Safalta ke Upay बहुत ही करीबी याने पास की दृष्टि से देखने और अनुभव करने पर बहुत खास खोज कर पाये हैं ।
कहने का तात्पर्य सिर्फ संक्षिप्त में समझा देने से पूर्णत: समझ में नहीं आ पायेगा ।
वास्तविकता इस संक्षिप्तता से उभरकर जब विस्तार रूप में फैलेगी तभी तो मकसद समझ आयेगा ।
एक विद्वान ने ऐसा कहा था यदि आपका जन्म हुआ है, तो सच जानिये ; कुछ वजह अवश्य है ।
इस बात ने दिमाग में इतनी ज्यादा सोच उत्पन्न कर दी, कि रहा नहीं जाता ।
चुप -चाप बैठकर सारी दुनिया तमाशा हमसे देखा नहीं जाता ।
यह बात उन लोगों की ओर इशारा करती है, जो लोग तमाशा बन गये है ।
निगाहें जब किसी दर्द या तकलीफ पर जाकर गिरती है तो पुन: आपको बता दें कि रहा नहीं जाता ।
भगवान ने यदि हम सब को धरती पर लाया है तो वजह ही हमारा वजूद भी निश्चित ही बनेगी ।
ऐसा इसलिये कहा जा रहा है कि धैर्य रखकर, साहस जुटाओ फिर ऑंखे खोलकर अपनी दृष्टि का प्रयोग करो ।
इस संसार में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं होगा जिसने कभी सपने नहीं देखा होगा ।
हम किसी मोटिवेशन कि बात नहीं कर रहें है ।
सफलता और असफलता में फर्क क्या होता है ?
इस विषय पर भी हम बहुत गहन गंभीर और विस्तार से बात नहीं कर रहे है ।
जन्म और मृत्यु ऐसे दो तथ्य जो अटल सत्य हैं जिन्हें हम सभी को स्वीकार करना ही होता है ।
विचारक अपने विचार से पूरी दुनिया में उसका संदेश पहुंचा देता है ।
उसकी योजना उसका उद्देश्य लोगों को राह दिखाती है ।
चलना सीखाती है ।
उस उद्देश्य और उसकी प्रस्तावना में व्यक्ति ने अपने मन पसंद रास्ता ढूंढा होता है ।
कोई भी व्यक्ति का यह स्वाभाविक नेचर होता है कि वह किसी चीज़ को जानना चाहता है ।
यहां पर चीज़ से आशय उस बात का है जो व्यक्ति को आगे बढ़ने का ज्ञान कराती है ।
सफल होने का रास्ता या Safalta ke Upay बताती है ।
यह समझना ही बहुत टेढ़ी खीर है कि सफलता और असफलता में Actually क्या अंतर है ।
सफलता और असफलता में अंतर
कुछ लोग भौतिक जगत से प्राप्त सभी चीज़ों को ही पाकर सफलता मानते हैं ।
तो वहीं दूसरे प्रकार के लोग संतुष्टि को ही सफलता का दर्जा देते हैं ।
तीसरे वे भी होते हैं जो सुख या शांति को सफलता समझते हैं ।
चौथे, पांचवे और भी इस तरह से भिन्न-भिन्न प्रकार की सोच रखने वाले व्यक्ति अपनी राय रखते हैं ।
उनकी राय उनके अनुसार सफलता तय करती है ।
देखा तो यहां तक गया है कि कुछ लोग गरीबी को भी भगवान की कृपा समझते है ।
और कहते हैं ठीक तो है “दाल रोटी खाओं और प्रभु के गुण गाओ ।“
किंतु अधिकांश व्यक्तियों का मानना अमीरी, समृद्धि है, जिसे वे सफलता मानते है ।
यह भी सत्य है कि सुख, सुविधा, पोजिशन ही सफलता होती है ।
आज के नव युवकों में बहुत ज्यादा जोश और स्फुर्ति देखने में मिलती है ।
खुशी भी इस बात को जानकर होती है ।
बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है या बुरी ।
यह तो हमारा अपना नेचर होता है ।
किंतु महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है ।
कोई नेतागिरी में तो कोई अभिनेता बनने का शौक रखता है ।
यह सभी हमारी अपनी wishes होती है ।
इसलिये फर्क करना बहुत मुश्किल हो जाता है कि किस बिन्दु पर निश्चित होकर सफलता की संज्ञा दें ।
मेहनत और लगन
मेहनत और लगन की परिभाषा आगे बढ़ना सिखाती है ।
सफल होना सिखाती है ।
प्रतियोगिता की भावना का जन्म भी इन्ही से हाेता है।
जोश और जुनून के साथ कार्य करना भी मकसद बन जाता है ।
विवेक और बुद्धि स्वयं कार्य करने के अनुरूप विकसित होते चले जाते है ।
तब ज्ञान का जन्म होना शुरू हो जाता है ।
यहां ज्ञान का आशय व्यक्तित्व में वृद्धि का प्रतीक भी होता है।
व्यक्ति की कार्यशैली ही उसके व्यक्तित्व के अस्तित्व की पहचान बताती है ।
व्यक्ति ने अथक प्रयास एवं निरंतर अभ्यास से असंभव को संभव कर दिखाया है ।
संसार में ऐसा कोई कार्य नहीं हो सकता है जिसे नहीं किया जा सकता है ।
यह भी विज्ञान और सतत प्रयत्नशील वैज्ञानिकों ने प्रमाणित कर दिखाया है ।
यहां तक की कल बैलगाड़ी के युग से आज बुलेटप्रुफ ट्रेन तक का सफर हमने देखा है ।
आज का मेक इन इंडिया देखकर हर व्यक्ति के अंदर उत्साह, जोश नजर आता है ।
हर व्यक्ति आज अपने कार्य के प्रति जिम्मेदार बन चुका है ।
व्यक्ति आत्म- स्वालम्बन के साथ आत्मनिर्भर भी बनते जा रहा है ।
ज्ञान का आशय इस लेख में सिर्फ स्वयं के लिये नहीं है बल्कि सभी के लिये है ।
पूरे लेख का सार जिस पर हम विस्तार से अध्ययन करेंगे ।
कि अक्सर लोग सफल नहीं हो पाते है, आखिर क्यों ?
पढ़ाने और पढ़ने वाले लोगों में यदि हम कहे बहुत खास फर्क होता है तो अतिश्योक्ति होगा ।
क्योंकि जो राह दिखाते हैं उन्हें पढ़ाने वाला कहते है ।
जो पढ़ते है वे पढ़ने का शौक भी रख सकते है ।
कहने का आशय पढ़ने वाला सिर्फ स्टूडेंट या छात्र होगा, यहां यह मतलब नहीं है ।
और पढ़ाने वाला से आशय टीचर ही नहीं है ।
जूनून से ही मकसद का पूरा होना
जिस व्यक्ति या मनुष्य को आगे बढ़ने की चाह होती है वह उसे पाने का रास्ता ढूंढ़ ही लेता है ।
तभी तो किताबों में हमने और आपने पढ़ा है “जहां चाह वहां राह ।
” लेखक वास्तव में बहुत कुछ देना चाहता है ।
उसे उसके पास के विचार और आइडियास देने में भी उलझनों का सामना करना पड़ता है ।
उलझन इसलिये क्योंकि वो जो भाव में लोगों को समझा रहा है ।
वे भाव समझने वाले लोगों के कहीं धोखे से किंचित मात्र भी प्रतिकूल हो गये ।
उस समय लेखक की मेहनत शून्य हो जाती है ।
आप सच जानिये और इस लेख Safalta ke Upay को बहुत Serious होकर पढि़येगा ।
इसे समझने में बहुत ज्यादा एकाग्र तो नहीं किंतु कुछ तो होना ही पड़ेगा ।
जहां चाह वहां राह
चलिये अब हम उस ओर की राह पर चल पड़ते है जो हमारा उद्देश्य है ।
वह उद्देश्य के पूर्ण होते ही असंतुष्ट और असफल लोगों को निश्चित ही दिशा मिल जाएगी ।
हमें उसी समय खुशी का अनुभव होगा ।
आप जब अपने में परिवर्तन देखेंगे, इस लेख को समझ कर आप में अंतर आएगा ।
यह हकीकत है क्योंकि जो भी बातें दिल पर लगती है और खासकर उनको जो आगे बढ़ना चाहते है ।
तो फिर मकसद आप समझ ही गये होंगे विद्वानों ने अपनी विद्वता से जो हमें राह दिखायी है ।
वह सभी के लिये सर्वोपरी है ।
अपनी हर सफलता को पाने के लिये धैर्य और संयम का होना बहुत जरूरी है ।
सफलता अपने विचारों में यदि अपने को संतुष्टि नहीं दे पा रहे है तो सफलता का अर्थ ही different हो जाएगा ।
इसलिये तो लिखने वाले ने पहले ही बता दिया है कि सफल स्वयं ही Stand हुये होते है । तभी उन्हें संतुष्टि मिलती है ।
कार्य और दिशा में विपरीतता ही सफलता और असफलता कंफर्म नहीं होती है ।
आज हमने Safalta ke Upay के बारे में सीखा
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भय से मुक्ति
,धन्यवाद