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Motivation का अर्थ
Motivation का अभिप्राय उस ज्ञान से, समझ से और विश्वास से भी होता है । इसी वजह से हम अपने नहीं करने वाले काम भी कर डालते हैं ।
क्या और कैसी अहमियत होती होगी, उस वजह की, जिसके अपने वजूद के कारण कार्य संपन्न हो जाया करता हैं ।
जब आप स्वयं कार्य करने की सोचते हैं, तो आपने देखा होगा कि अधिकांशत: लोग असफल भी हो जाते हैं ।
कुछ लोग तो किसी भी बहाने के शिकार हो जाते हैं और कार्य प्रारंभ ही नहीं कर पाते हैं ।
व्यक्ति कार्य करना निश्चित कर लेने के पश्चात् भी सिर्फ उसे करने की कोशिश करते रहते है । सोचने का अभ्यास करते हैं । अभ्यास की योजना बनाते हैं । योजना स्वप्नों में या किसी से प्रेरणा लेकर बनाते हैं ।
तमाम सी कोशिशें, उनके हर इरादों में नजर आती हैं । कभी-कभी की बात न की जाए तो प्राय:-प्राय: ही अधिकांश लोग सिर्फ प्रेरित ही होते हैं ।
उस प्रेरणा से, कार्य को संपन्नता तक पहुंचाने का बीड़ा नहीं उठा पाते ।
इसी के विपरीत यदि उन्हीं अधिकांश लोगों को कोई ऐसी बात कह दी जाए या उन्हें कोई बात लग जाए जिससे वे उस कार्य को न करने वाले भी सहजता एवं सरलता से कर जाते हैं।
लोगों को ऐसी बात ही मोटिवेट कर जाती है, जो उनके दिल या दिमाग पर असर कर जाती हैं । फिर एक वजह ही उन्हें उस काबिल बना देती है जिससे वे कामयाब या सफल कहलाते हैं ।
Motivation की परिभाषा
ऐसा तथ्य, विचार, बोल, Questions, Idea, Story, बातें… जो आपके अंदर आंतरिक ऊर्जा को बहुत ज्यादा बढ़ा देते हैं जिससे आपके कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है ।
आप अपनी सोच में बदलाव महसूस करते हैं ।
एक बहुत ही रोचक बात यह सामने आती है जिससे जानकर आप हैरान हो जाएंगे । जानिए क्या है वह ?
एक कल्पना जिसमें आप अपने आपको जहां चाहे जैसा चाहे वैसा पाते हो, ये भी एक बहुत गहरी प्रेरणा है, जिसके सतत् अभ्यास से आप उसे एक दिन सत्य में पा चुके होते हो क्या हैं ?
कुछ विद्वान इसे मनोविज्ञान की ताकत मानते हैं तो कुछ ज्ञानी इसे अंग्रेजी में visualization कहते हैं ।
अक्सर,जब एक बहुत आश्यर्च जनक तथ्य से हमारा सामना होता है ,आप उसे जानकर दंग रह जाएंगे । जी हां, सत्संग से स्वयं एक motivation मिलता है, इसका बहुत बड़ा प्रमाण, उदाहरण मौजूद है ।
एक कहानी एक Motivation
कुछ 40-42 विद्यार्थी कक्षा 10वीं के, ने एक बेस्ट ट्यूटर best tutor खोजा । उन्हें उस tutor से मेथ्स पढ़ना था । करीब 30-32 बच्चों का टारगेट था कि 11वीं में मेथमेटिक्स mathematics लेंगे । लगभग सभी बच्चें शासकीय नेताजी सुभाषचन्द्र बोस और सरस्वती शिशु मंदिर, भैरोगंज, सिवनी के छात्र थे ।
6-7 बच्चे Excellence H.S. School ,Seoni के भी छात्र थे । आप सोच रहे होंगे न कि यह एक काल्पनिक कथा है। आप विश्वास कीजिए, पूरी original स्टोरी है । इसमें सन् 2006 के विद्यार्थी थे । इनमें 4-5 गर्ल्स भी थी ।
विद्यार्थियों की मासिक ट्यूशन फीस 150/- थी । बहुत ज्यादा उम्मीदों के साथ, विश्वास लिए 1 जुलाई 2006 में वह ट्यूशन का बेच start हुआ ।
पढ़ाने वाले सज्जन आदरणीय मात्र बी.एस.सी.(मेथ्स) थे । शासकीय स्नाकोत्तर महाविद्यालय सिवनी से 1997 के pass out थे । उन्हें नौकरी की चाह न थी ।
सिर्फ स्टूडेंट्स को privately पढ़ाना ही उनका शौक था ।
2006-07 में वे अपना एल.एल.बी.फाइनल का preparation भी कर रहे थे । उम्र 34-35 थी ।
बच्चों की क्लास मेथ्स से प्रारंभ किये । फिर English subject में भी complete teaching करवाए । पूरी ग्रामर में full confidence बनवाए ।
शेष सभी subjects को Extra time and Sunday test के माध्यम से 2-3 hrs दिए ।
and current revision से final revision, पूरे subjects में before 40 days of annual examination करवा दिए ।
30+ maths एवं 5+ सभी विषयों के test 30-30 questions के prepare करवाए ।
पढ़ाने वाले नॉलेजियस तो थे ही । नो डाउट , आग थी उनके अंदर ।
स्टोरी एक नया मोड़
40 बच्चों में 1 लड़की मात्र को Supply in English आई थी । शायद वह क्लास में irregular रहती थी । daily, monthly और वह immediately होने वाले टेस्ट में नहीं आती थी ।
इसे छोड़कर 4 स्टूडेंट्स ने Bio एवं 29 ने maths लिया । 6-8 बच्चों में कोई Art, कोई commerce तो 2 बच्चों ने एग्रीकल्चर सब्जेक्ट भी लिये ।
ट्यूटर अपनी personal life में प्रत्येक रविवार प्रात: 8-9 AM पर श्री रावतपुरा सरकार की आरती किया करते थे । उसके बाद टेस्ट 9:15 AM से प्रारंभ होते थे ।
एक बहुत ही अनोखी बात देखने में आई, उसे जानकर आश्चर्य का ठिकाना न था ।
उसे जानने की इच्छा शायद आपकी भी हो जाए ।
20-22 बच्चे उस प्रार्थना में स्वयं, बिना बोले, जो कि 1 घंटा चलती थी, शामिल होने लगे ।
उनसे पूछने पर कि कैसा लगता है आपको ?
ध्यान और prayer में, तो जवाब में आता – ‘फुल ऊर्जावान’ महसूस करते हैं सर, कहते थे ।
वे students उनके अपने स्कूल के toppers थे ।
Then, 12वीं भी पास आउट हुए । उसी ट्यूटर के पास गाइडलाइन मिली ।
4-5 बच्चे इंजीनियरिंग, 8-9 बच्चे बी.एस.सी. । और शेष अपने विचार से अलग-अलग विषय लेकर पढ़ाई किये । वे भिन्न–भिन्न क्षेत्रों में बंट गये, परंतु उनमें परस्पर संपर्क बना रहा ।
2006 के बच्चे 2008 में 12वीं, 2011-12 में बी.एस.सी एवं 2012-13 में इंजीनियरिंग किए ।
आज 7 से 8 स्टूडेंस एयर फोर्स में । आर्मी में 3-4 विद्यार्थी एवं सिविल इंजीनियरिंग तथा मेकेनिकल इंजीनियर साथ ही 3-4 विद्यार्थी टीचर्स बनें ।
1 स्टूडेंट इंजीनियरिंग करने के पश्चात् MPPSC qualify करके टी ओ (ट्रेजरी ऑफिसर) बना । यह टीओ की जॉब उनकी 2 nd जॉब है ।
कहानी का दूसरा एक ओर मोड़
उस 2006 के बेच में 90 प्रतिशत बच्चे गरीब घर के थे ।
आजतक वे विद्यार्थी जॉब में रहकर 40-50 लाख रूपये कमा चुके हैं ।
10-15 लाख के मकान, इतने ही की कार maintain कर रहे हैं ।
शायद ये स्टोरी आपको मोटिवेट करेगी, और आपका रास्ता या मार्ग प्रशस्त करेगी । ये रियल लाइफ है ।
एक दूध वाले का बेटा आर्मी में चयनित हुआ । एक चाय वाले का बेटा एयर फोर्स में सलेक्ट हुआ । एक ड्राइवर का बेटा आर्मी में आज डिफेंस में जॉब कर रहे हैं ।
अनेकों ऐसे सत्य प्रमाण है ।
स्टोरी :- सत्य पर आधारित, सिर्फ उन विद्यार्थियों के नाम बदल दिए हैं । इतिहास में नाम दर्ज कराने वाले वीरों के। कारण यह है कि उनके स्वाभिमान में सिर्फ कर्म चाहते है । देश सेवा और राष्ट्र सेवा करना चाहते हैं ,अपनी तारीफ नहीं ।
वे अपने कामों को जाहिर करना चाहते हैं, नाम को नहीं । तो चलिए आपको लिए चलते हैं, एक नए विद्यार्थी की सफलता के बारे में बताने ।
गरीब बच्चे की सफलता की कहानी
जी हां, बात है उस लड़के की ।
वह लड़का जो गांव अमरवाड़ा जिला छिंदवाड़ा से, एजुकेशन के लिए, जिला सिवनी आया ।
उस समय, वह कक्षा 8वीं में था ।
जैसे-जैसे 8वीं से 9वीं then 10वीं पास हुआ 11वीं में मेथ्स साइंस लिया ।
उसे बड़ी मुश्किल से ट्यूशन नसीब हो पाती थी ।
पिता जी दूसरे किसी की जीप चलाकर ड्रायवर बनकर 250-300 रूपये कमाये करते थे ।
तो कभी-कभी वे ट्रेवल की बुकिंग वाली गाड़ी को चलाते ।
जिससे भी वे कमाई करते थे । हर दिन काम नहीं मिलता था ।
दो बच्चों में, दूसरा छोटा वाला 10वीं के बाद पढ़ ही नहीं पाया ।
किसी दुकान पर काम करने लगा ।
4000 /- प्रति माह में उसका वेतन था, उसकी मजदूरी थी ।
बड़ा भाई गुरूओं की दया और उनके मार्गदर्शन से, आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय के चलते, बहुत मेहनत किया ।
उसके मेथ्स विषय में 66 प्रतिशत अंक आए थे । सन् 2012-13 का बेच था।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस विद्यालय में पढ़ाई किया करता था ।
12वीं पास होने के पश्चात् एक साल बहुत मेहनत किया ।
आर्मी में जाने का ड्रीम बना लिया था । गांव का सीदा सादा सा लड़का । दौड़ में नहीं निकल पाया ।
Disqualified कर दिया गया उसे, परंतु उसने अपना आत्मबल बनाये रखा ।
दूसरे वर्ष दौड़ qualify कर लिया तो विंग्स नहीं मार पाया ।
उसने 5 विंग्स में से 3 ही कर पाया । फिर बाहर कर दिया गया ।
तीसरे वर्ष पूर्णत: दौड़, विंग्स, मेडिकल, ग्राउंड पेपर सभी क्लियर हो गये ।
वह 2015 के बेच में आर्मी सलेक्ट हो गया ।
अब छोटे भाई का कैरियर बनाना
आज 5 वर्ष की नौकरी, वर्दी का अपना सपना पूरा किया ।
पिताजी को SWIFT DZIRE full loaded AC कार 2017 में गिफ्ट किया ।
जिससे उनके पिताजी का अपना स्वयं का ट्रेवल्स का बिजनेस स्टार्ट हो गया ।
भाई के लिए कृषि से संबंधित खाद-बीज एवं दवाई की दुकान खुलवाने जा रहा है ।
यह भी उसका अपने भाई के लिए व्यवसाय खुलवाना एक बहुत बड़ा सपना था, जो पूरा होने को है ।
आज उसके माता-पिता बेहद प्रसन्न एवं खुश रहा करते है ।
वह सफल विद्यार्थी ,जो आज आर्मी में जॉब करता है । वह कहता है कि हर बेटे और बेटी को बहुत मेहनत करना चाहिए ।
अपनी जिंदगी को संवारना एवं सपनों को पूरा करना, वास्तव में एक बहुत बड़ी पूजा होती है ।
वह कहता है कि जिस उम्र में कुछ लोग मस्ती करके, भाग्य भरोसे अपनी लाइफ खराब करते है ।
उसी समय कर्मठ और जुझारु अपने जीवन में, अपने सपनों को पूरा करके इतिहास लिख देते हैं ।
यह भी एक बहुत बड़ी चुनौती होती है उस उम्र के नौजवानों के बीच में ।
उसने पूरे परिवार को सेटल करके, शानदार 23 वर्ष से 24 वर्ष की उम्र में मेरिज किया ।
आज एक बेटा है, उसका ।
जिसको भविष्य में क्या बनाना है, प्लान स्टार्ट हो गया ।
‘शानदार लाइफ, जानदार लाइफ ‘ का आज वह जीवन जी रहा है ।
उसका ऐसा भी कहना है कि ‘जिंदगी को काटना नहीं’ जीना चाहिए ।
ऐसे बहुत से Examples हैं ।
यदि आप भी सफल होना चाहते हैं तो इसे अवश्य पढि़ए ।
रूबरू अपने आपको आप वहीं पायेंगे जहां आप रहना चाहते हैं ।
51 सत्य जो बदल देंगे आपको, आपकी सोच को, आपके नजरिये को
प्रथम चरण(1-20)
- बात वही करो, जो चाहते हो ।
- आदत वही बनाइये, जो आपको बना दे ।
- जिससे लाइफ बिगड़ती है । आपकी आत्मा उसे स्वीकार करने से मना भी करती है । आप स्वयं उस रास्ते से वापस लौट जाइये ।
- आत्मा की आवाज सुनने कोशिश कीजिए ।
- विज़न क्लियर हो तो उस पर 100 प्रतिशत चलने की कोशिश, दृढ़ निश्चय होकर कीजिए ।
- सक्सेस के बारे में सोचना शुरू कीजिए ।
- आसमान से भी ऊंचा स्वप्न देखिए, पूरा होगा विश्वास कीजिए । आप एक दिन संतुष्ट जरूर होंगे।
- जो आज करना हो, उसे कल पर मत छोड़ो ।
- कार्य को पूरी श्रद्धा और लगन के साथ कीजिए ।
- अपने आप पर पूर्ण भरोसा रखने की आदत बनाइये ।
- दूसरे क्या बोलेंगे या सोचेंगे, जैसे कांटो को अपने दिमाग में ही मत आने दीजिए ।
- अपने व्यक्तित्व को स्वयं आकर्षक एवं Confidential बनाइये।
- संकोच, संदेह, डर, घबराहट, शर्म, जैसे अवरोंधो को निकाल फेंकिए, अपनी जीवन से ।
- कोई काम ऐसा न कीजिए, जिससे बाद में पछताना पड़े ।
- कोई भी कार्य करने से पहले उसका अंजाम क्या होगा का preview देखिए ।
- यदि आप किसी विषय पर decision न ले पायें तो बड़े बुर्जुगों, सफल लोगों, गुरूओं से परामर्श जरूर कीजिए ।
- गलती और कमजोरी छिपाने की कोशिश कभी न कीजिए । कभी-कभी ये दोनों बातें ही आपको सफल होते हुए भी, असफल बना देती है ।
- वक्त और समय को बहुत बुद्धि और विवेक से समझकर, निर्णय लेना चाहिए ।
- अंधेरों में तीर नहीं चलाना चाहिए ।
- सफलता की लकीर खींचों दूसरो के लकीर मिटाकर नहीं ।
द्वितीय चरण ( 21-30)
- डींगे मारकर, शेखी बघार कर जो समय व्यतीत कर देते हैं । वह बाद में कुछ भी नहीं कर पाते हैं । और एकदम शांत हो जाते हैं, बल्कि पछताते हैं, पहले के समय को याद करके ।
- दिखावा की जिंदगी नहीं जीना चाहिए ।
- परिवर्तित मत होते दिखाइए , परिवर्तन स्वयं दिखना चाहिए ।
- अच्छे मित्रों का संग करना चाहिए ।
- व्यक्ति खराब नहीं होता, उसके विचार ही उसे बनाते हैं या बिगाड़ते हैं ।
- व्यर्थ की बातें नहीं सोचना, नहीं करना चाहिए ।
- हर चीज का हल बहस नहीं होना चाहिए ।
- अडियल स्वभाव का नहीं होना चाहिए । कुछ अपवादात्मक स्थिति जीवन में आ जाती है। उसकी वजह परिस्थिति होती है, तो उसे बुद्धि और विवेक के प्रयोग से सामंजस्य पूर्ण बनाना चाहिए ।
- किसी से प्रेरणा लेना, किन्तु तुलना न करना । तृतीय चरण(31-38)
- उठो –बढ़ो किन्तु किसी को गिराकर नहीं ।
- जो स्वयं के लिए दूसरों से चाहते हो, वह पहले दूसरों को देने की आदत बनाओ ।
- किसी के भी प्रति नजरिया सकारात्मक रखिए ।
- कुढ़न और ईर्ष्या, विद्वेष जैसी खराब आदतों का जीवन से त्याग कीजिए ।
- बिन्दु 34 के अंतर्गत पालन न करने से, मन में बैर और बुरी भावनाओं का जन्म होगा । ये जीवन को उसी तरह नष्ट कर देते है, जिस प्रकार दीमक किसी लकड़ी को खोखला कर देती है । मानसिकता के साथ ही साथ शारीरिक दुर्बलता के लक्षण भी प्रकट होने लगते हैं ।
- खुश रहने की वजह उस समय भी ढूंढना चाहिए जब निराशा हाथ लगी हो, या दु:ख से सामना करना पड़ रहा हो ।
- अपने आपको स्वयं उपदेश देना चाहिए ।
- प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए। इससे शरीर में अद्वितीय ऊर्जा संचारित होती है। फिर आप नये-नये प्रोडक्टीव कार्य करना स्वयं प्रारंभ करने लगते हो ।
चतुर्थ चरण ( 39-45)
- एक नये काम को ‘ मैं कर सकता हूं’ याने ‘ कर ही लूंगा ।’ सदैव यही विश्वास होना चाहिए ।
- जैसे लॉकडाउन एण्ड कोविड-19 के चलते लाखों लोगों ने कम्प्यूटर में ऑनलाइन बिजनेस किया । वेबसाइट बनाये और बेचे । ब्लॉगिंग में सफल हो गये । जिन्हें ए, बी, सी, डी, नहीं आती थी, कम्प्यूटर की । सिर्फ यू-ट्यूब से सर्च करके और गूगल पर ऑन लाइन सीख कर, एक और नई skill डेवलप की ।
- असंभव को भी संभव कर दिखाने का साहस, विश्वास में दम भरते दिखना चाहिए ।
- कमिटमेंट या तो करो नहीं और यदि कर लिए तो पूर्ण करके ही अपने स्वाभिमान की रक्षा करना चाहिए ।
- जो बोलो, वो करके दिखाना चाहिए । जैसा बोलो , वैसा करके भी दिखाना चाहिए । इसलिए जो कर पाओ, वही बोलना चाहिए । अन्यथा व्यक्तित्व और जज्बात फीके पड़ने लगते हैं ।
- वास्तव में किसी को किसी से कोई मतलब नहीं होता है, इसलिए अपना कार्य करते रहना चाहिए । इसे आप जीवन में अवश्य अपनाकर अनुभव किए होंगे अन्यथा कीजिएगा ।
- हर बात में, हर इंसान के सामने, हर इंसान को अपनी high image, self image show नहीं करना चाहिए । क्योंकि कहीं न कहीं एक न एक दिन ये अदाएं अपमान भी करा देती है। जब आपका कोई प्रतिद्वंदी आपको observe करके आपसे high image स्वयं show करा जाता है । अधिकांशत: यह दिखावटीपना दिखाने वाले लोगों के साथ अक्सर होता है ।
पांचवां चरण(46-51)
- धन का, सूरत का, बल का, ज्ञान का,… इत्यादि किसी का भी घमंड नहीं करना चाहिए । किसी को नीचा भी नहीं दिखाना चाहिए ।
- सभी व्यक्ति का अपने स्थान पर महत्व होता है, उसकी कद्र करनी चाहिए ।
- किसी को भी जीवन में, किसी भी मोड़ पर, अंडररेस्टीमेट नहीं करना चाहिए । क्योंकि ‘समय होत बलवान’ ये सबका होता है, आज नहीं तो कल ।
- हर नकारात्मकता को खत्म करके सकारात्मकता में परिवर्तित करने की आदत एवं स्वभाव होना चाहिए ।
- विनम्रता एवं शिष्टाचार अपने व्यवहार में सम्मिलित by default होना चाहिए ।
- फर्ज निभाते रहो, फर्जी अपने आप छंट जाएंगे ।
- इसी अंदाज पर अपने सिद्धांतों को अपनाकर जिंदगी जीते रहना चाहिए ।
रहस्य की कल्पना से भी मोटिवेशन
- आपने अंदाजा होगा – जैसा आप सोचते हो वैसा ही आपके जीवन में घटित होता जाता है ।
- जब आप सामने वाले को स्माईल देते हैं तो प्रत्युत्तर में आप वहीं पाते हैं ।
- मंदिर में मूर्ति, जहां आपका अपना विश्वास होता है ।
- उससे भी जो आप मांगते हों, वह मिलता है, पीछे आपके अथक परिश्रम और कर्मों का फल भी होता है ।
- आप अपने स्वयं के विषय में किसी को कुछ नहीं बताते, किन्तु वह प्रतिफल जब आपको मिलता है ।
- उस समय आप उसे फ्रेंड्स और अपनों के बीच शेयर करना चाहते हैं ।
- यही प्रतिफल रहस्यों का नतीजा होता है ।
- कई बार आपको-आपके अनुसार विपरीत या नकारात्मक परिणाम भी प्राप्त होते हैं ।
- किन्तु आप 90 प्रतिशत बातें शेयर नहीं कर पाते ।
- यही रहस्य हैं, किन्तु व्यक्ति को मोटिवेट अवश्य ही करता है ।
- आप लोगो को अद्भूत लाभ होगा, आनंद आएगा ।
- आप स्वस्थ एवं confidant होंगे ऐसा हमारा विश्वास ही आपको मोटिवेट कर जाएगा ।
- तब हर काम में सक्सेस एण्ड प्रोडक्शन पॉजिटिव मिलेंगे ।